कोरोना संकट के बीच ड्यूटी निभा रहे नायकों की तारीफ हर जगह हो रही हैं। इनमें दो मांएं ऐसी भी हैं, जो शारीरिक चुनौतियों के बीच भी ड्यूटी पर डटी हुई हैं। विनोथिनी और नैना, दोनों कर्मयोेद्धा हैं, मुश्किल हालात में भी अपने काम से सेवा करने में जुटी हैं। वहीं, इंदौर के तुकोगंज थाने के टीआई निर्मल श्रीवास भी ऐसा ही कुछ कर रहे हैं ड्यूटी और परिवार के प्रति जिम्मेदारी को निभाने के लिए।
तमिलनाडु में एक नर्स विनोथिनी, जो खुद आठ महीने की गर्भवती हैं, कोरोना रोगियों के इलाज में मदद करने के लिए तिरुचिरा से रामनाथपुरम की 250 किमी की दूरी तय कर पहुंच गईं। 25 साल की विनोथिनी त्रिची के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स हैं, लेकिन हालात देखते हुए प्रशासन ने उन्हें कोरोना रोगियों के इलाज में जुटी टीम में शामिल किया है। वो बताती हैं कि अफसरों को नहीं पता था कि मैं गर्भवती हूं। जब उन्हें पता चला तो उन्होंने मेरा नाम हटा दिया। लेकिन मैं इस संकट की घड़ी में पीछे नहीं हटना चाहती थी। मैंने अधिकारियों से बात की, लेकिन वे नहीं माने। बाद में स्थानीय मंत्री के दखल से मुझे लॉकडाउन में निकलने के लिए विशेष पास दिया गया। इसके बाद मैं पति के साथ कार से प्राइमरी हेल्थ सेंटर पहुंचीं। अब सेंटर में मरीजों की देखभाल कर रही हूं।
डिलीवरी करीब, फिर भी रोज 6 घंटे ड्यूटी पर रहती हैं सफाईकर्मी नैना
हीरे की नगरी सूरत इन दिनों लॉकडाउन है, लेकिन सफाई कर्मचारी नैना परमार 9 माह की गर्भवती होने के बावजूद रोज ड्यूटी पर पहुंच जाती हैं। वो भी तब, जब उनकी डिलीवरी कभी भी हो सकती है। वे अपनी 5 से 6 घंटे की ड्यूटी के दौरान लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील भी करती हैं। साथ ही यह भी बताना नहीं भूलती कि कोरोनावायरस को हराने के लिए यह कितना जरूरी है। नैना की पांच साल की एक बच्ची भी है। पति स्कूल वैन चलाते हैं, लेकिन इन दिनों घर पर ही हैं। नैना का कुल 6 लोगों का परिवार है, जिनकी जिम्मेदारी भी वे बखूबी निभा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने यह काम चुना था। वे कहती हैं- ‘मेरे लिए ड्यूटी सबसे पहले हैं। कोरोना तो अब आया है, लेकिन साफ-सफाई रखना भविष्य में भी कई बीमारियों से बचाता है इसलिए मुझे अपना काम करने की प्रेरणा मिलती है।’